गाय से गोरखनाथ तक, राजस्थान में इन वादों पर वोट मांग रहे हैं बीजेपी-कांग्रेस
来源:कहां पर मिलेगा编辑:आईपीएल मैच का स्कोर时间:2023-09-23 23:37:47
राजस्थान में विधानसभा चुनाव में वोटों के लिए कांग्रेस और बीजेपी में वायदों की होड़ लगी है. दोनों पार्टियां अपना घोषणापत्र जारी कर चुकी हैं लेकिन जहां कांग्रेस,गायसेगोरखनाथतकराजस्थानमेंइनवादोंपरवोटमांगरहेहैंबीजेपीकांग्रेस बीजेपी के घोषणापत्र को 'छलावा पत्र' बता रही है, वहीं बीजेपी कांग्रेस के घोषणा पत्र को अपनी 'नकल'. दोनों ही दलों ने अपने घोषणापत्र में सत्ता में आने के पश्चात किसान, गाय और संस्कृत की बातें तो की हैं, लेकिन अल्पसंख्यक वर्ग कहीं पीछे छूट गया है. राज्य के किसानों के संकट को भुनाने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने किसानों की मांग का खयाल रखा है. जिसमें एमएसपी, बिजली बिल में रियायत और सिंचाई के पानी का जिक्र समेत कई अन्य मुद्दे शामिल हैं. कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र जिसे 'जन घोषणा पत्र' नाम दिया गया है, में सरकार आने के दस दिन के भीतर कर्ज माफी का वायदा किया है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह किस प्रकार के लोन हैं और कौन से किसान इसके तहत आएंगे. कांग्रेस ने कृषि से जुड़े उपकरणों को जीएसटी से बाहर करने, एमएसपी को सही तरीके से लागू कराने और फसल के नुकसान का सही तरीके से आकलन करने का वायदा किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों की आय दोगुनी करने के वायदे को आगे बढ़ाते हुए बीजेपी ने अपने 'राजस्थान गौरव संकल्प' में 250 करोड़ रुपये का ग्रामीण स्टार्ट अप फंड का वायदा किया है. वहीं सहकारी बैंकों के जरिए अगले पांच साल में 1 लाख करोड़ का किसान लोन देने का वायदा किया है. दोनों ही दलों ने आवारा पशुओं से होने वाली क्षति से किसानों की रक्षा करने का वायदा किया है. बता दें कि साल 2017 में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पशुओं के व्यापार के नियमों में कड़ाई के बाद इस तरह की रिपोर्ट आई थीं कि आवारा पशु फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. दोनों ही दलों ने गाय को लेकर खासा ध्यान दिया है. जहां कांग्रेस ने गौशालाओं की सब्सिडी बढ़ाने का वायदा किया है, तो वहीं बीजेपी ने वायदा किया है कि राज्य की अन्य गौशाला अक्षय पात्र फाउंडेशन की साझेदारी में संचालित होंगी. वहीं मेवात क्षेत्र में अतिरिक्त गौरक्षा चौकियों का भी वायदा किया गया है. बता दें राजस्थान का यह क्षेत्र गौरक्षकों के उत्पात और मॉब लिंचिंग को लेकर पिछले दिनों खासा चर्चा में था. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों ने संस्कृत और वैदिक शिक्षा को अपने घोषणापत्र में प्रमुखता से जगह दी है. कांग्रेस ने वैदिक शिक्षा बोर्ड के गठन और संस्कृत भाषा और शिक्षा को बढ़ावा देने का वायदा किया है. तो वहीं बीजेपी ने संस्कृत में अंडरग्रैजुएट और पोस्ट-ग्रैजुएट शिक्षा मुफ्त करने और वैदिक शिक्षा बोर्ड के गठन का वायदा किया है. बीजेपी ने यह भी वायदा किया है कि जिन शिक्षण संस्थानों में भारतीय संस्कृति के अनुसार संस्कार' की पढ़ाई होगी, उन्हें जमीन के लिए रियायत दी जाएगी. बीजेपी के घोषणापत्र के मुताबिक माध्यमिक शिक्षा में एक अध्याय 'परिवार जागरण' पर आधारित होगा. बता दें इस कार्यकाल में राजे सरकार ने सरकारी किताबों में काफी फेरबदल किए थे. कांग्रेस ने लड़कियों को मुफ्त शिक्षा का वायदा तो किया लेकिन यह देखने वाली बात होगी कि क्या यह वायदा निजी स्कूलों पर भी लागू होगा. कांग्रेस ने बीजेपी सरकार के दौरान बंद किए गए 20000 स्कूलों को फिर से खोलने और अंबेडकर लॉ यूनिवर्सिटी और हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय को फिर से शुरू करने का वायदा किया है. दोनों ही राष्ट्रीय दलों ने निजी शिक्षण संस्थानों और कोचिंग सेंटर को लेकर एक नियामक प्राधिकरण के गठन का वायदा किया. बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में निजी स्कूलों की फीस में काफी वृद्धि देखने को मिली है. अनुसूचित जनजाति समुदाय को लुभाने के लिए दोनों ही राजनीतिक दलों ने आरक्षण का वायदा किया है. कांग्रेस ने गुर्जर, रायका, घुमंतू और लोहार समुदाय को कानूनी रूप से 5 फीसदी आरक्षण दिलाने का वायदा किया है. इसी के साथ पार्टी ने यह भी वायदा किया है कि आर्थिक रूप से पिछड़ों को 14 फीसदी आरक्षण के लिए पिछली कांग्रेस सरकार के प्रस्ताव को लागू कराने के लिए प्रयास किए जाएंगे. बीजेपी ने मीणा समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का प्रस्ताव किया है. इसी के साथ बाबासाहेब अंबेडकर के नाम पर तीर्थयात्रा निधि, राष्ट्रीय पर्यटन स्थल, ई-लाइब्रेरी और सरकारी विश्वविद्यालयों में अंबेडकर चेयर का प्रावधान करने का वायदा किया है. बीजेपी ने घुमंतू बिरादरी को वोटर आईडी, आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र आसानी से उप्लब्ध कराने का भी वायदा किया है. वैसे तो कांग्रेस पार्टी महिला सशक्तिकरण को लेकर काफी मुखर रही. लेकिन पार्टी के घोषणापत्र में इसे लेकर कोई इच्छाशक्ति नहीं दिखती. कांग्रेस ने 24×7 महिला हेल्पलाइन, महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराधों में फास्ट ट्रैक सुनवाई, शौचालय, कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल और लीगल ट्रेनिंग जैसे वायदे किए हैं. वहीं बीजेपी ने महिला किसानों और गृहिणियों के लिए विशेष योजना का वायदा किया है. इसमें जिला स्तर पर महिलाओं के लिए सेना भर्ती सेल, सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आरक्षित डेयरी और लड़कियों की शादी के लिए वो परिवार जिनकी सालाना आय 6 लाख रुपये से कम है उन्हें 1 लाख रुपये के सहयोग का वायदा किया है. वहीं असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं का ध्यान रखने के साथ झुग्गियों के नजदीक महिलाओं के लिए बैंक, सीमावर्ती क्षेत्र में आंगनबाड़ी और शेल्टर होम में सीसीटीवी और शिकायत बक्से की सुविधा का प्रावधान करने का वायदा किया है. बीजेपी ने छात्रसंघ चुनावों में महिलाओं के लिए आरक्षण का वायदा भी किया है. मुस्लिम समुदाय के उत्थान मुद्दे पर बीजेपी के घोषणापत्र में किसी तरह का जिक्र नहीं है. तो वही कांग्रेस ने भी मुसलमानों को लेकर कुछ विशेष करने का वायदा नहीं किया है. कांग्रेस के घोषणापत्र में मदरसों में कंप्यूटर शिक्षा की बात तो की गई है, लेकिन दोनों ही दलों ने जिस प्राथमिकता से संस्कृत की बात की उसकी तुलना में उर्दू को किनारे कर दिया है. हालांकि बीजेपी में अपने घोषणापत्र में बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर निकालने की बात जरूर की है. बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में सर्वभौमिक स्वास्थ्य बीमा यानी राजस्थान में रहने वाले नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा का प्रावधान किया है. इससे पहले राजस्थान के लोगों को भामाशाह कार्ड के जरिए यह सुविधा मिलती थी. इसके साथ ही बीजेपी ने योग बोर्ड और शिक्षण संस्थाओं में योग को अनिवार्य करने का वायदा किया है. कांग्रेस ने स्वास्थ्य के अधिकार को कानूनी मान्यता दिलाने का भरोसा दिलाने के साथ, मुफ्त दवा और इलाज का वायदा किया है. दोनों ही दलों ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में रिक्त पड़े पद भरने का वायदा किया है. कांग्रेस ने इस मामले में एक कदम बढ़ते हुए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) और राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (NUHM) विभाग के निविदाकर्मियों को नियमित करने का वायदा किया है. गौरतलब है कि इन स्वास्थ्य कर्मियों ने पीएम मोदी की मार्च के महीने में झुंझुनू की रैली में काले झंडे दिखा कर प्रदर्शन किया था. वही बीजेपी ने इसके विपरीत निविदा कर्मियों को बोनस प्वाइंट के आधार पर नौकरी में प्राथमिकता देने का वायदा किया है. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में 3500 रुपये का बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही है, तो बीजेपी ने 5000 रुपये बेरोजगारी भत्ता देने का वायदा किया है. हालांकि मौजूदा नियमों के आधार पर इस सुविधा का लाभ लेने के लिए बेरोजगार युवा के पास स्नातक की डिग्री होनी चाहिए और यह भत्ता मात्र दो साल के लिए मिलता है. अपने घोषणा पत्र में बीजेपी ने सरकारी और निजी क्षेत्रों में 50 लाख नौकरियां देने का वायदा किया है. जबकि कांग्रेस ने कोई संख्या नहीं बताई है. कांग्रेस ने राजस्थान में जीएसटी के सरलीकरण और पारंपरिक तौर पर जो उत्पाद राज्य में बनते हैं उनपर टैक्स खत्म करने का वायदा किया है. इसके साथ ही कांग्रेस ने अपनी महत्वाकांक्षी बाड़मेर रिफाइनरी प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने का संकल्प लिया है. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने खनन उद्योग के नियमों को सरल करने और स्थानीय उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 'मेक इन राजस्थान' की बात कही है. इसके साथ ही औद्योगिक भूमि रूपांतरण के नियमों में भी ढील देने का वायदा किया गया है जिसमें 5 हेक्टेयर की गैर सिंचित भूमि और 2.5 हेक्टेयर सिंचित भूमि का औद्योगिक इस्तेमाल आसान हो जाएगा. पंचायत चुनावों में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के लिए राजे सरकार द्वारा लाए गए नियम को खत्म करने वायदा कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में किया है. मौजूदा बीजेपी सरकार ने एक कानून बनाकर यह नियम बनाए थे कि जिला परिषद और पंचायत समिति के प्रत्याशी की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 10वीं तक होनी चाहए और सरपंच का उम्मीदवार कम से कम 7वीं पास हो. नाथ संप्रदाय के वोटरों को लुभाने के लिए बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में 'गोरखधंधा' जैसे अपमानजनक शब्द के प्रयोग को बैन करने का वायदा किया है और गोरखनाथ के अनुयायियों की भावना को ठेस पहुंचाने वालों के लिए सजा का प्रावधान किया है. बीजेपी ने संत गोरखनाथ की शिक्षा को राजस्थान सरकार के पाठ्यक्रम में शमिल करने का वायदा किया है और छात्रों को योग में गोरखनाथ के योगदान के बारे में शिक्षित करने की बात कही है. इसके साथ ही गोरखनाथ के नाम पर एक राष्ट्रीय स्मारक और नाथ संप्रदाय के मठों को जीर्णोद्धार करने का वायदा भी किया है.